Converting Water Hyacinth to Livelihood Option

असम की 6 युवा लड़कियों का कमाल, मुसीबत बनी जल कुंभी को बनाया आजीविका

—मीठे पानी की झील में जल कुंभी के प्रकोप को बचाने में जुटीं
—जल कुंभी से बनाया बायोडिग्रेडेबल व कंपोस्टेबल मैट चटाई
—चटाई निर्माण की प्रक्रिया में शामिल हैं सभी महिलाएं
—केंद्र सरकार के एनईसीटीएआर ने की मदद, उपलब्ध कराई तकनीक

नई दिल्ली /खुशबू पाण्डेय : कहते हैं कि अगर आप किसी भी काम को मंजिल तक पहुंचाने के लिए ठान लजिए तो वह काम जरूर होता है। ऐसी ही कारनामा असम के मछुआरे समुदाय की छह युवा लड़कियों ने कर दिखलाया है। इन लड़कियों का समूह जल कुंभी के प्रकोप से झीलों को बचाने में जुट गई हैं। साथ ही इन जल कुंभी से बायोडिग्रेडेबल तथा कंपोस्टेबल मैट (चटाई) बनाने का काम भी कर रही हैं। इस जलीय पौधे को समस्या से संपदा में बदलने में दिनरात एक दिया है। ये लड़कियां मछुआरे समुदाय की हैं जो गुवाहाटी शहर के दक्षिण पश्चिम में एक स्थायी मीठे पानी की झील दीपोर बील, जो रामसार स्थल (अंतर्राष्ट्रीय महत्व की एक दलदली भूमि) और एक पक्षी वन्यजीव अभ्यारण्य के नाम से विख्यात है, के बाहरी हिस्से में रहती हैं।

इस मैट को ‘मूरहेन योगा मैट‘ के नाम से जाना जाता है और इसे जल्द ही एक अनूठे उत्पाद के रूप में विश्व बाजार के सामने प्रस्तुत किया जाएगा। इस कदम की शुरुआत भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत एक स्वायत्तशासी निकाय उत्तर पूर्व प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग एवं पहुंच केंद्र (NECTAR) की एक पहल के जरिये हुई। जिससे कि जल कुंभी से संपदा बनाने के लिए छह लड़कियों के नेतृत्व में एक सामूहिक ‘सिमांग‘ अर्थात स्वप्न से जुड़े समस्त महिला समुदाय को इसमें शामिल किया जा सके।

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Last Updated : 27-04-2024 - 14:32