NECTAR द्वारा अनुदान सहायता से स्थापित यह इकाई वर्तमान में पूरी तरह से कार्यरत है और कीवी व अन्य औषधीय पौधों की प्रोसेसिंग कर रही है। इस यूनिट में मौसम के दौरान उपलब्ध कीवी से कीवी जैम, स्क्वैश, सूखे कीवी जैसे उत्पादों का उत्पादन किया गया है, साथ ही स्थानीय रूप से उपलब्ध औषधीय जड़ी-बूटियों से भी कई उत्पाद बनाए गए हैं। उदाहरणस्वरूप, डिहाइड्रेटेड वॉटर ड्रॉपवॉर्ट लीफ पाउडर और ओएनेन्थे जावानिका जैसे उत्पाद तैयार किए गए हैं जो पीलिया, उच्च रक्तचाप, पेट दर्द और हेपेटाइटिस के इलाज में सहायक होते हैं। अन्य उत्पादों में थंबाई लीफ पाउडर शामिल है, जिसमें जीवाणुरोधी और कवकरोधी गुण होते हैं और यह भूख बढ़ाने में सहायक होता है। इसके अतिरिक्त, डिहाइड्रेटेड ऑक्सालिस कॉर्निकुलेटा (क्रिपिंग वुडसोरेल) पाउडर जो आहार के रूप में उपयोगी होता है, तथा डिहाइड्रेटेड सेंटेला एशियाटिका (गोटू कोला) पाउडर जो घाव भरने, त्वचा रोगों और पेट की समस्याओं के इलाज में उपयोगी होता है। वर्तमान में इस यूनिट में लगभग 9-10 स्थानीय लोग, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, सीधे रूप से कार्यरत हैं।
मणिपुर के इंफाल ईस्ट जिले के क्यांग्गेई मयाई लीकाई में स्थापित इस परियोजना को सरसों के तेल और खल (मस्टर्ड केक) के उत्पादन हेतु शुरू किया गया है, जो वर्तमान में प्रति दिन 250 लीटर निकाले गए सरसों के तेल का उत्पादन कर रही है। लगभग 300 किसानों को फसल कटाई के बाद की तकनीकों और विपणन समन्वय (मार्केटिंग टाई-अप) पर प्रशिक्षण दिया गया।

सुनीका एंटरप्राइज द्वारा नागालैंड के नियुलैंड में क्रियान्वित इस परियोजना के अंतर्गत हर्ब्स और मसालों के मिश्रण से युक्त ग्रीन टी और विभिन्न प्रकार की फ्लेवर्ड टी का उत्पादन किया जाता है, जिससे वर्तमान में कम से कम 10 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। इन चाय की किस्मों में शुद्ध ग्रीन टी, स्पाइसी रोज़ टी, डिटॉक्स हर्बल टी, ग्रीन टी पान, ग्रीन टी ब्लूबेरी, ग्रीन टी एप्पल, रोज़मेरी हर्बल टी, ग्रीन टी रास्पबेरी, ब्लू पी मिंट आदि शामिल हैं। ये चाय उत्पाद जड़ी-बूटियों और मसालों के संयोजन से तैयार किए गए हैं, जो उपभोक्ताओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होते हैं, साथ ही इनका स्वाद और अन्य इंद्रियगम्य गुण नियमित चाय पीने वालों को भी पसंद आते हैं।

मिजोरम के आइज़ोल में स्थित इस परियोजना को NECTAR द्वारा समर्थित किया गया है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण अनुकूल पेपर कप का उत्पादन करना और पूरे राज्य में उनका वितरण करना है, ताकि प्लास्टिक पैकेजिंग के उपयोग को कम किया जा सके। साथ ही, इस परियोजना का मकसद आइज़ोल और उसके आस-पास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों के लिए आजीविका के अवसर सृजित करना है। यह परियोजना विश्वसनीय व्यावसायीकरण के माध्यम से 7 प्रत्यक्ष और 10 अप्रत्यक्ष लाभार्थियों के लिए रोजगार सृजन भी सुनिश्चित करती है।

वर्षों के परीक्षण और प्रयोगों के माध्यम से असम कृषि विश्वविद्यालय (AAU), जोरहाट ने "हाज़", जो कि अहोम समुदाय की पारंपरिक स्थानीय मद्य है, की स्टार्टर कल्चर में समानता लाने, अल्कोहल की मात्रा को नियंत्रित करने, शेल्फ लाइफ बढ़ाने और निरंतर किण्वन प्रक्रिया को रोकने में सफलता प्राप्त की। जोरहाट की एक संस्था NEAPS ने AAU से संपर्क कर NECTAR से वित्तीय सहायता प्राप्त कर "हाज़" के व्यावसायिक उत्पादन संयंत्र की स्थापना का निर्णय लिया। यह परियोजना सितंबर 2022 से व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर चुकी है और तब से इसे देश-विदेश में सराहना मिल रही है। यह परियोजना राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में भी स्थान बना चुकी है। उत्पादन इकाई में 30 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है, जबकि आसपास के गांवों के 80 से अधिक लोग कच्चे माल की आपूर्ति के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हो रहे हैं।

NECTAR ने मशरूम डेवलपमेंट फाउंडेशन को वित्तीय सहायता प्रदान की है, जिसका उद्देश्य 100 स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिला सदस्यों को मशरूम उत्पादन और मूल्य श्रृंखला विकास में सहायता प्रदान करना है। यह परियोजना एक संरचित और स्तरीकृत मॉडल पर आधारित है, जिसमें विभिन्न इकाइयों की स्पष्ट भूमिका तय की गई है। इस मॉडल में 100 स्थानीय महिलाओं को शामिल किया गया है, जिन्हें आगे विभाजित किया गया है: ➢ 4 मशरूम डेमोन्स्ट्रेशन यूनिट (MDU) ➢ 16 कॉमन प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) ➢ 80 व्यक्तिगत उत्पादन यूनिट (IPU)। इस परियोजना ने कार्यान्वयन स्थल पर सीधे 100 महिलाओं को लाभ पहुंचाया है, जबकि 400 से अधिक व्यक्ति अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हुए हैं।


फरीदाबाद की एक फर्म को NECTAR की योजना के तहत बांस से बनी डिस्पोजेबल कटलरी और बांस की बोतलों के उत्पादन इकाई की स्थापना हेतु अनुदान सहायता प्रदान की गई। इस फर्म ने उत्पादों के विकास के लिए विशेष प्रयोजन मशीनें (SPMs) जैसे लेथ मशीन, बांस स्प्लिटर और स्लाइसर डिज़ाइन और विकसित की हैं। इस इकाई के माध्यम से उच्च मूल्य वाली बांस की औषधीय बोतलों और डिस्पोजेबल कटलरी जैसे चम्मच, कांटे, चाकू, आइसक्रीम स्टिक, कैंडी स्टिक आदि के नवोन्मेषी और व्यावसायिक डिज़ाइन तैयार और निर्मित किए जा रहे हैं।

आव्या लाइफ साइंस प्रा. लि. को कोरोना वायरस के सैंपल संग्रहण और उसके सुरक्षित, स्वच्छ परिवहन के लिए एक माइक्रोब-प्रतिरक्षित बायो-सैंपलर विकसित करने हेतु सहायता प्रदान की गई। असम के गुवाहाटी स्थित IASST के बायो-नेस्ट बिल्डिंग में इस बायो-सैंपलर के उत्पादन के लिए एक छोटा निर्माण संयंत्र स्थापित किया गया है, जिसमें ऑटोमेटेड एमटीएम (मॉलिक्यूलर ट्रांसपोर्ट मीडिया) फिलिंग मशीन और नेगेटिव प्रेशर कंट्रोल की व्यवस्था है। आव्या लाइफ साइंस द्वारा विकसित एमटीएम को मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल्स से 100% सेंसिटिविटी और स्पेसिफिसिटी के साथ परीक्षण में प्रमाणित किया गया है। यह विकसित मीडिया रंगहीन, अत्यधिक प्रभावी है और कोविड-19 सैंपल के संग्रहण के साथ-साथ उसे निष्क्रिय कर आगे संक्रमण फैलने से रोकता है, जिससे इसे आगे अनुसंधान एवं विकास और डायग्नोस्टिक परीक्षणों (जैसे HPV और MTB) में भी प्रयोग किया जा सकता है।

NECTAR ने मिजोरम साइंस सेंटर के सहयोग से आइजोल ज़िले में एक जैविक अपशिष्ट कम्पोस्टिंग सुविधा सफलतापूर्वक स्थापित की है। इस परियोजना का उद्देश्य ज़िले के आसपास के गाँवों के विभिन्न संस्थानों और बाज़ारों से एकत्रित जैविक अपशिष्ट को मूल्यवर्धित खाद में परिवर्तित करना है, जिसे खेती और कृषि कार्यों में उपयोग कर पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सके। इस प्रक्रिया में सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर की कम्पोस्ट बूस्टर तकनीक का प्रयोग एक प्रमुख घटक के रूप में किया गया है। पहले परीक्षण चरण में लगभग 4 टन तैयार कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया, जिसे मिजोरम साइंस सेंटर द्वारा “मावितेई मैन्योर” ब्रांड नाम से सफलतापूर्वक बाजार में उतारा गया।

नलबाड़ी की एक युवा उद्यमी ने अपने घर पर सूखी सुपारी की पत्तियों से पर्यावरण अनुकूल कटलरी (कटोरे और प्लेट) के उत्पादन की एक इकाई शुरू की है। इस पहल को NECTAR द्वारा सहायता प्रदान की गई है। इस इकाई के माध्यम से वर्तमान में 2 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है।

मिजोरम के लेइसेन्ज़ो गांव के लोग सदियों से अपने पुराने जंगलों से चाय की पत्तियाँ इकट्ठा कर सुखाकर चाय बनाते आए हैं, लेकिन आधुनिक मशीनरी और उपकरणों की कमी के कारण उन्हें पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाता था। साथ ही, सुखाने की उचित व्यवस्था न होने के कारण बड़ी मात्रा में चाय की पत्तियाँ बर्बाद हो जाती थीं। इस समस्या के समाधान के लिए NECTAR ने एस इको फार का समर्थन किया, जिसने चामफाई जिले के लेइसेन्ज़ो गांव में एक आधुनिक चाय प्रसंस्करण इकाई स्थापित की। इस इकाई में सौर ड्रायर, इलेक्ट्रिक ड्रायर, चाय रोलर मशीन, चाय शाखा स्लाइसर और वजन मापक जैसे आधुनिक उपकरण उपलब्ध होंगे। इसके अलावा, संचालन के लिए लगभग 1500 वर्ग फुट की जगह ज़ोरम मेगा फूड पार्क में प्रदान की गई है, जो भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है, जहां चाय का भंडारण, पैकेजिंग और लेबलिंग की जाएगी।

पर्यावरणीय चिंताओं, जागरूकता और विभिन्न सरकारी नियमों के कारण पिछले दशक से बायोप्लास्टिक्स की मांग लगातार बढ़ रही है। देश में प्रत्येक वर्ष 1000-5000 टन बायोप्लास्टिक्स का उत्पादन होता है, जबकि वार्षिक खपत लगभग 9 मिलियन टन है (CPCB), जिससे मांग और आपूर्ति में भारी असंतुलन उत्पन्न हो रहा है। नागालैंड के मोकोकचांग में स्थित इस इकाई ने 1-5 किलो भार वहन करने वाले बायोप्लास्टिक बैग का उत्पादन शुरू किया है, जिसकी मासिक उत्पादन क्षमता लगभग 3 टन है। प्रारंभ में इस इकाई में 6 लोगों (3 पुरुष और 3 महिलाएं) को जो कि अनुसूचित जनजाति (ST) से हैं, रोजगार मिला है। भविष्य में प्रतिदिन 10-15 लोगों के रोजगार की उम्मीद है। इसके साथ ही 10 गांवों के लगभग 250 कैसावा किसान, जो ज्यादातर छोटे किसान हैं, कैसावा की खेती शुरू कर चुके हैं।

कोहिमा और जुनबेतो जिलों में NECTAR के समर्थन से RAFRA द्वारा 20 अनुसूचित जनजाति की महिला किसानों को लाभान्वित करने वाली परियोजना लागू की गई। इन महिलाओं को शिटाके मशरूम की खेती के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया गया और उन्हें खेती शुरू करने के लिए स्टार्टिंग किट तथा कुल 4,000 लकड़ी के लॉग उपलब्ध कराए गए। प्राप्त मशरूम को ताजा और सूखे रूप में स्थानीय बाजारों में बेचा गया, जिससे महिलाओं को बेहतर मुनाफा हुआ और उनकी आजीविका में सुधार हुआ। इस पहल को अप्रैल 2023 में नागालैंड में आयोजित G20 बैठक के दौरान भी प्रदर्शित किया गया।

मेघालय इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट इनिशिएटिव (MIMDI) ने मेघालय के री बोई में मसाले और सुगंधित पौधों की आसवन इकाई स्थापित की, जिसका उद्देश्य स्थायी आजीविका सृजन और मसालों तथा औषधीय एवं सुगंधित पौधों (MAPs) की खेती एवं प्रसंस्करण के माध्यम से सशक्त आय के अवसर प्रदान करना था। परियोजना ने तकनीकी हस्तक्षेपों को बढ़ावा दिया, परंपरागत गतिशील कृषि पर निर्भरता कम की और बंजर भूमि को उत्पादक खेती में परिवर्तित करने पर ध्यान केंद्रित किया। साथ ही, स्थानीय कृषि-जलवायु अनुकूल उच्च मूल्य वाले फसलों को लोकप्रिय बनाना, सुनिश्चित खरीद के साथ बाजार नेटवर्क को मजबूत करना और विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाना भी परियोजना के लक्ष्य थे। इस पहल से अनुसूचित जाति और जनजाति के कुल 48 व्यक्तियों (19 पुरुष और 27 महिलाएं) को प्रत्यक्ष लाभ मिला, जबकि 140 अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से अप्रत्यक्ष लाभ प्राप्त हुआ।
आखरी अपडेट : 04-07-2025 - 15:09