तकनीक-आधारित उद्यमों को प्रोत्साहित करने हेतु एक परियोजना को अहमदाबाद स्थित एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (EDII) के सहयोग से सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया। परियोजना का पहला चरण 2022 को संपन्न हुआ, जिसमें असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और त्रिपुरा राज्यों को शामिल किया गया।
दूसरे चरण के अंतर्गत मणिपुर और मिज़ोरम में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें शामिल थे:
- 2 उद्यमिता जागरूकता कार्यक्रम (EAP)
- 4 उद्यमिता विकास कार्यक्रम (EDP)
कुल 220 प्रतिभागियों ने इन कार्यक्रमों में भाग लिया — 119 प्रतिभागी EAP में और 103 प्रतिभागी EDP में। महिला प्रतिभागियों की संख्या पुरुषों की तुलना में अधिक रही (170 महिलाएं बनाम 50 पुरुष), और 148 प्रतिभागी अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग से थे।
प्रशिक्षण के पश्चात, मिज़ोरम के 5 EDP प्रतिभागियों ने अपने प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त ज्ञान को अपने स्व-उद्यमों के माध्यम से लागू करना प्रारंभ कर दिया है।

नेक्टर ने एनईसीबीडीसी को बांस उत्पादों के प्रशिक्षण सह उत्पादन को व्यवस्थित करने के लिए समर्थन दिया, जो पूर्वोत्तर भारत का अब तक अप्रयुक्त बांस क्षेत्र है जो अनादि काल से इसकी स्थलाकृति, संस्कृति और पारंपरिक प्रथाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। एनईसीबीडीसी सदियों पुराने बांस क्षेत्र को नए युग की गति देने के लिए प्रतिभा खोज, प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी सोर्सिंग, बाजार संपर्क में अपनी रचनात्मकता और संसाधन को शामिल करता है। प्रस्तावित प्रशिक्षण में उद्यमिता आधारित प्रशिक्षण और बांस के उत्पादों जैसे सर्विंग ट्रे, बेंत और बांस के बक्से, कॉइल आधारित उत्पाद, पैकेजिंग आइटम का उत्पादन शामिल था। 73 लाभार्थियों की भागीदारी के साथ तीन प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरे हो चुके हैं। बांस के उत्पाद जैसे पेन स्टैंड (229 नंबर), बेंत और बांस की टोकरियाँ (100 नंबर), लैंप शेड (27 नंबर), कुल 73 प्रतिभागियों को दर्ज किया गया, जिनमें पुरुषों (59) की संख्या महिलाओं (14) से अधिक थी, और अधिकांश एसटी श्रेणी (54) से संबंधित थे।

टाटा ट्रस्ट द्वारा समर्थित "अंतरन" परियोजना के पूर्व प्रशिक्षण प्रमुख बिनंदा कलिता के मार्गदर्शन में एक 45 दिवसीय व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम NECTAR के साझेदार कार्यान्वयन एजेंसी सिमांग कलेक्टिव्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य 11 महिलाओं को कुशल करघा प्रशिक्षक (Loom Trainers) के रूप में तैयार करना था। प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात, इन महिलाओं ने पहल करते हुए गाँव की अन्य महिलाओं के लिए नियमित प्रशिक्षण कक्षाएं आयोजित करना प्रारंभ किया है। इन कक्षाओं के माध्यम से वे अपनी नव अर्जित विशेषज्ञता साझा कर रही हैं और अन्य महिलाओं को भी परियोजना की गतिविधियों से जोड़ रही हैं।
इस कार्यक्रम में कुल 22 प्रतिभागियों ने भाग लिया, सभी प्रतिभागी महिला थीं और अनुसूचित जाति (SC) वर्ग से संबंधित थीं।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य संभावित लाभार्थियों की पहचान करना, मधुमक्खी पालन पर तकनीकी एवं व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान करना, मधुमक्खी के डिब्बों, कॉलोनियों एवं अन्य सहायक उपकरणों का वितरण करना था, जिससे मधुमक्खियों की कॉलोनी एवं शहद उत्पादन को प्रोत्साहन मिल सके और सिक्किम के ग्रामीण किसानों की आजीविका को टिकाऊ बनाया जा सके। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कुल 25 किसानों ने भाग लिया। प्रतिभागियों में स्कूली शिक्षा से वंचित छात्र, प्रगतिशील किसान, और ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षित बेरोजगार युवा शामिल थे, जो ऋषि GPU ब्लॉक से संबंधित थे। कुल 25 प्रतिभागियों में से सभी अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग से थे।

इस परियोजना का उद्देश्य पुराने कारीगरों द्वारा युवाओं को बांस बुनाई / हस्तशिल्प प्रशिक्षण प्रदान करना है, ताकि पारंपरिक कौशल को अगली पीढ़ी तक पहुँचाया जा सके और बेरोजगार युवाओं के लिए आजीविका के साधन विकसित किए जा सकें।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जोगम बांस वर्क्स, दीमापुर (नागालैंड) से आए विशेषज्ञ प्रशिक्षकों द्वारा 50 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण के उपरांत कुछ प्रतिभागियों ने इन हस्तशिल्प गतिविधियों को स्वयं करना प्रारंभ कर दिया है। इस प्रशिक्षण में कुल 25 प्रतिभागियों ने भाग लिया, सभी प्रतिभागी महिलाएं थीं और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग से संबंधित थीं।

NECTAR के बांस एवं बेंत विकास संस्थान (BCDI), अगरतला द्वारा बांस और उससे जुड़े क्षेत्रों में कई प्रशिक्षण गतिविधियाँ आयोजित की गईं। इनका उद्देश्य कारीगरों को बांस के प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन के विभिन्न क्षेत्रों में व्यावहारिक कौशल और उत्पाद विकास का प्रशिक्षण देना था। प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बांस की प्रजनन तकनीक, नर्सरी प्रबंधन, बांस के उपचार, बांस की बोतल और टोकरी निर्माण, विभिन्न बांस हस्तशिल्प, बांस शूट प्रसंस्करण, कुकीज़ और अचार बनाने जैसे विषय शामिल थे। कुल 19 प्रशिक्षण एवं कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें ओडिशा बांस विकास एजेंसी (OBDA), मेघालय सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग निदेशालय, त्रिपुरा वन विभाग, NABARD त्रिपुरा क्षेत्रीय कार्यालय और त्रिपुरा बांस मिशन जैसे कई सहयोगी संस्थाओं ने भाग लिया। इन कार्यक्रमों से लगभग 442 विभिन्न पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को प्रत्यक्ष लाभ मिला, जिनमें अधिकांश महिलाएं थीं।

आखरी अपडेट : 08-07-2025 - 13:07